Wednesday, November 30, 2016

किसे महत्त्व दें - जो ख़ास है या जो सब में सामान है?

मैंने कई स्कूलों में देखा है कि बहुत से अच्छे अध्यापक बच्चों के साथ बहुत मेहनत करते हैं। वो कहते हैं कि हर बच्चे में कुछ खास है। यूनीक है। वह यूनीक ही बच्चे की प्रतिभा है। हमारे अच्छे अध्यापकों की पूरी मेहनत बच्चे की यूनीक प्रतिभा को निखारने में लगी रहती है। क्योंकि हर बच्चे में कुछ यूनीक है।

लेकिन क्या कभी मैंने ये सोचा है कि हर बच्चे में कुछ कॉमन भी है? क्या हम इस बात पर मेहनत करते हैं कि हर बच्चा अपने और अपने साथ बैठे बच्चों के बारे में वो बातें जान सके जो उनमें कॉमन है। जो सब में है।

यह बात ठीक है कि हर बच्चे में कुछ यूनीक है। लेकिन यह भी सच है कि हर बच्चे में कुछ कॉमन भी है। शिक्षा का काम यूनीक को निखारना है तो कॉमन की पहचान भी कराना है। मेरा मानना है कि जिस दिन देश के सारे स्कूल बच्चों में कॉमन की पहचान कराने लगेंगे। उस दिन सारे झगड़े मिट जाएंगे। धर्म-जाति बेमानी हो जाएंगे। सही मायने में शांति की स्थापना होगी।

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