मुझसे एक दिन एक सहयोगी ने कहा कि शिक्षा के जरिये हम बच्चे के टैलेंट पर तो काम कर सकते हैं। लेकिन क्या हम उसके व्यवहार पर काम कर सकते हैं? क्या हम उसके स्वभाव पर काम कर सकते हैं? मैंने कहा, बिलकुल कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए स्व-भाव यानी स्वयं को जानना जरूरी है। उन्होंने पूछा कि क्या इसके लिए आत्मा-परमात्मा पढ़ाना पड़ेगा। मैंने कहा, हरगिज नहीं। सिर्फ क्लासरूम में कुछ बातों को वैज्ञानिक तरीके से रखना पड़ेगा और उनका अभ्यास कराना पड़ेगा।
जिस दिन बच्चा स्वयं के बारे में जानने लगेगा तो वह पाएगा कि उसकी स्वयं की बहुत सारी क्वालिटीज सामने वाले बच्चे में भी हैं। वह यह भी देखेगा कि उसकी कुछ क्वालिटीज सारे बच्चों में हैं। यहीं से व्यवहार पर काम होना शुरू होगा। यहीं से स्वभाव के बदलने का काम शुरू होगा। लेकिन दुर्भाग्य से अभी न हमारे पास इसका कोई पाठ्यक्रम है और न कोई कार्यक्रम।
जिस दिन बच्चा स्वयं के बारे में जानने लगेगा तो वह पाएगा कि उसकी स्वयं की बहुत सारी क्वालिटीज सामने वाले बच्चे में भी हैं। वह यह भी देखेगा कि उसकी कुछ क्वालिटीज सारे बच्चों में हैं। यहीं से व्यवहार पर काम होना शुरू होगा। यहीं से स्वभाव के बदलने का काम शुरू होगा। लेकिन दुर्भाग्य से अभी न हमारे पास इसका कोई पाठ्यक्रम है और न कोई कार्यक्रम।
Manish Ji. your way of working is excellent.you must take responsibility for Punjab school .after coming AAP in Punjab .thanks sir for doing excellent job.
ReplyDeleteIf the Director and Principal understand this basic concept they also set an example of their institutions.
DeleteWe will focus on those so they understand education is not business it is transformation of knowledge from one generation to next generation.
Government doing well job but we haven't depend on govt. Always.
Some big steps we should take.
anilsinghtomar1987@gmail.com
Child's mind is like a blackboard, a good teacher can write on it that can make the child noble on the other hand a teacher can write on it that can spoil the life of child. So need to be good teacher. If a child is not with good behavior, wash his/her brain with your teaching technique and then try to make him/her noble for our society.
ReplyDeleteSir nowadays we r not working on moral education and its not need specific book or course. Actually it should be the part of our education system. We can train tender minds to noble Humen being.
ReplyDeleteआपका शिक्षा पर एक व्यख्यान सुना सर.. बहुत ही प्रेरणादायक एवं रचनात्मक लगा!!
ReplyDeleteआज दिल्ली की आप सरकार ने दिल्ली के सरकारी स्कूलो में पढ़ाने वाले 25000 गेस्ट टीचर को स्कूलों से बाहर निकाल दिया हैं ।
ReplyDeleteHow about employment for age 50 to 59 age groups specially not born in the skills sets generation and ignored the maximum by governments? How do they survive?
ReplyDeleteHow about employment for age 50 to 59 age groups specially not born in the skills sets generation and ignored the maximum by governments? How do they survive?
ReplyDeleteSadanand tattvgyan parishad has syllabus and programme to change the behavior of the students .
ReplyDeleteWe sent an e-mail to you also regarding the above matter, but didn't get response from your office.
We can do each and everything Sir kids will listen to teacher if teacher will give love to every kid.First of all teacher behaviour must be right.As if I talked about my experience all kids are very much attached to me and they listen each and everything of me which I taught to them in class.I am proud of u that you are doing wonderful job in this field also.
ReplyDeleteTanu
ReplyDeleteशानदार सर, शिक्षा की व्यवस्था आपकी सरकार द्वारा सराहनीय है। दिल्ली जैसी जगह पर शिक्षित लोग है तभी आपकी सरकार है यहां। जय हो
ReplyDeleteGood
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