एक क्लासरूम में अगर 40 बच्चे पढ़ते हैं तो बहुत सारे ऐसे गुण होंगे जो हर बच्चे में होंगे। कुछ आदतें, कुछ प्रतिक्रियाएं, सोचने का तरीका, मन में उठने वाले विचार...ऐसा ही बहुत कुछ। मुझे कोई किताब नहीं दिखती जो एक क्लास के सारे बच्चों की कॉमन क्वालिटीज को पहचानने में बच्चों की मदद करे।
क्या ऐसी किताब बन सकती है? क्या ऐसा पाठ्यक्रम बन सकता है? क्या यह पढ़ाया जा सकता है? बिलकुल हो सकता है। हर बच्चा यह अच्छे से पहचान सकता है कि मुझमें और सामने वाले बच्चे में क्या कॉमन है। लेकिन सामने वाले बच्चे को जानने से पहले उसे अपने बारे में जानना जरूरी है। इसलिए इसकी शुरुआत स्वयं की शिक्षा से करनी पड़ेगी।
क्या ऐसी किताब बन सकती है? क्या ऐसा पाठ्यक्रम बन सकता है? क्या यह पढ़ाया जा सकता है? बिलकुल हो सकता है। हर बच्चा यह अच्छे से पहचान सकता है कि मुझमें और सामने वाले बच्चे में क्या कॉमन है। लेकिन सामने वाले बच्चे को जानने से पहले उसे अपने बारे में जानना जरूरी है। इसलिए इसकी शुरुआत स्वयं की शिक्षा से करनी पड़ेगी।
दिल्ली की जनता और खास तौर पर बच्चे खुसनसीब है जिनको दुनिया का सबसे अक्चा एजुकेशन मिनिस्टर मिला है आपका काम बहोत सराहनीये है सर
ReplyDeleteआज दिल्ली की आप सरकार ने दिल्ली के सरकारी स्कूलो में पढ़ाने वाले 25000 गेस्ट टीचर को स्कूलों से बाहर निकाल दिया हैं ।
DeleteSir
DeleteAs a part of introductory conversations students in my class get a chance to interact with each other and find out what is common in them...students are delighted at the end of conversations and every activity in the class becomes collaborative after this.
The value is inculcated and established as a skill in teenagers who are on a path of finding themselves.
Jagriti Singh
Teacher, SOE, Dwarka
सदानन्द तत्त्वज्ञान परिषद आपसे यही कह रहा है आप हमें अपना समय देने का कष्ट करें। संसार की समस्त समस्यायों का समाधान है और पढ़ाई लिखाई से ही संभव है।
ReplyDeleteDear sir
ReplyDeleteWe applaud your government for the kind of work that is being done in government schools. The work of AAP government is exceptional not only in government schools but also in other departments. Vocational teacher for last 5 years NSQF skill India is making its extraordinary contribution to 272 schools in Delhi with a monthly salary of just 17000.
Sir, for the last 5 years we have been contributing to all kinds of departmental work in schools. Vocational teachers are giving all possible help and contribution for the development of students. And yet why are the government and department discriminating against vocational teacher.
Sir, we should agree with you on equal work equal pay. Otherwise, all of us vocational teachers will lose faith in your government.
सराहनीय सर जय हो..
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