Monday, November 28, 2016

अतीत की गुणगान चालीसा : राष्ट्रीय बीमारी

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की किताबों को मैं देखता हूं तो मुझे लगता है कि हम अतीत का गुणगान बहुत करते हैं। और शायद इसी वजह से हमारे बच्चे बड़े होकर अतीत के गुणगान में ही खोये रहते हैं। जैसे- हमारा इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है, भारत जगतगुरु रहा है, हम सोने की चिड़िया थे...। ये सब रहा होगा। लेकिन आज कहां है? और कल कहां हो सकते हैं?

हम फ्यूचर ओरियंटेड नहीं हैं। हमें अतीत के गुणगान वाले चालीसा को बंद करना चाहिए। मुझे तो लगता है कि अगर आइंस्टीन हिंदुस्तान में पैदा हुए होते तो हमने उनके नाम पर चालीसा बना दिया होता। हिमालय पर उनका एक मंदिर होता। और हम कहते कि जाकर आइंस्टीन बाबा के मंदिर की परिक्रमा कर आओ और आइंस्टीन चालीसा पढ़ते रहो...सारा विज्ञान समझ में आ जाएगा।

हम शिक्षा में अतीत के गुणगान पर ज्यादा जोर देते हैं। और हमारे शिक्षित समाज का एक बड़ा हिस्सा अपने देश के, अपने परिवार के और खुद के अतीत के महिमामंडन के रस में डूबा पड़ा है।

1 comment:

  1. I wish I get a chance to work with you. This is my dream.Hundred of ideas related to education system are dying in me. I don't know how to proceed it. All I need is chance, Not to prove myself,but to make education system more beneficial for our people .

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