विनयात याति पात्रताम। बड़ी अच्छी लाइन है। विद्या से विनम्रता आती है। और विनम्रता आपको योग्य बनाती है। लेकिन ये बात मुझे वहां के वातावरण में नहीं दिख रही थी। कहीं नहीं दिख रही थी। जिस लहजे में प्रिंसिपल साहिबा अपने मातहतों को पिछले एक घंटे से निर्देश दे रही थीं या कई अध्यापक भी बच्चों से जिस टोन में बात कर रहे थे। उसमें विनय कहीं नहीं थी। पानी पिलाने वाले सेवक तो शायद विनय से बात किये जाने के लिए बने ही नहीं थे। बस स्कूल के गीत में विनय थी। विद्या के मंदिर में पढ़े-लिखे लोगों के व्यवहार में मुझे कहीं विनय दिखाई नहीं दे रही थी।
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