शिक्षा के बारे में मेरा नजरिया थोड़ा क्रिटिकल है। मैं शिक्षा की उपलब्धियों को लेकर सवाल खड़े कर रहा हूं। मेरे सवाल शिक्षित होने के मकसद से जुड़े हैं। लेकिन मेरे सवाल उठाने का मतलब ये नहीं है कि अभी तक शिक्षा से कुछ हासिल नहीं हुआ है। आज हम जहां हैं, इसी शिक्षा की बदौलत हैं।
आज टेक्नोलॉजी के भरोसे ही हम एक सेकेंड में अपनी बात लाखों लोगों तक पहुंचा देते हैं। टेक्नोलॉजी की वजह से जाति-धर्म की दीवारें टूटी हैं। आज मेरे हाथ में मोबाइल है। और यह इस बात पर निर्भर नहीं है कि मैं किस जाति या धर्म से आता हूं। 500 साल पहले गुलाम होना या रखना समाज की स्वीकृति में था। लेकिन आज किसी को न गुलाम होना स्वीकार है और न कोई गुलाम रखता है। ऐसी बहुत सारी उपलब्धियां शिक्षा की हैं। लेकिन मैं उसकी चर्चा करना चाहता हूं जो हासिल नहीं हुआ है। औऱ जिसकी जरूरत है।
आज हमारे पास ऐसे कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हैं जो अपने यहां से पास होने वाले छात्रों के बारे में गारंटी ले सकते हैं। आईआईटी गारंटी ले सकता है कि हमारे आईटी डिपार्टमेंट से निकला बच्चा आईटी से जुड़ी हर समस्या को हल कर सकता है। आईआईएम से निकले छात्र के बारे में गारंटी ली जा सकती है कि बिजनेस के हर क्राइसिस को मैनेज कर सकता है। इस तरह बहुत से कॉलेज, इंस्टीट्यूट अपने सिखाए के बारे में गारंटी ले सकते हैं। लेकिन क्या कोई ऐसा इंस्टीट्यूट है जो गारंटी लेता हो कि हमारे यहां से पास हुआ छात्र बेईमान अफसर, इंजीनियर, डॉक्टर या मैनेजर नहीं बनेगा। क्या कोई संस्थान यह गारंटी ले सकता है कि हमारा पढ़ाया हुआ छात्र अपराध नहीं करेगा। क्या किसी स्कूल या यूनिवर्सिटी के बारे में गारंटी ली जा सकती है कि वहां से पढ़ा हुआ छात्र बलात्कार नहीं करेगा...प्रदूषण नहीं फैलाएगा... गंदगी नहीं फैलाएगा...झगड़ा नहीं करेगा...शोषण नहीं करेगा।
आज टेक्नोलॉजी के भरोसे ही हम एक सेकेंड में अपनी बात लाखों लोगों तक पहुंचा देते हैं। टेक्नोलॉजी की वजह से जाति-धर्म की दीवारें टूटी हैं। आज मेरे हाथ में मोबाइल है। और यह इस बात पर निर्भर नहीं है कि मैं किस जाति या धर्म से आता हूं। 500 साल पहले गुलाम होना या रखना समाज की स्वीकृति में था। लेकिन आज किसी को न गुलाम होना स्वीकार है और न कोई गुलाम रखता है। ऐसी बहुत सारी उपलब्धियां शिक्षा की हैं। लेकिन मैं उसकी चर्चा करना चाहता हूं जो हासिल नहीं हुआ है। औऱ जिसकी जरूरत है।
आज हमारे पास ऐसे कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हैं जो अपने यहां से पास होने वाले छात्रों के बारे में गारंटी ले सकते हैं। आईआईटी गारंटी ले सकता है कि हमारे आईटी डिपार्टमेंट से निकला बच्चा आईटी से जुड़ी हर समस्या को हल कर सकता है। आईआईएम से निकले छात्र के बारे में गारंटी ली जा सकती है कि बिजनेस के हर क्राइसिस को मैनेज कर सकता है। इस तरह बहुत से कॉलेज, इंस्टीट्यूट अपने सिखाए के बारे में गारंटी ले सकते हैं। लेकिन क्या कोई ऐसा इंस्टीट्यूट है जो गारंटी लेता हो कि हमारे यहां से पास हुआ छात्र बेईमान अफसर, इंजीनियर, डॉक्टर या मैनेजर नहीं बनेगा। क्या कोई संस्थान यह गारंटी ले सकता है कि हमारा पढ़ाया हुआ छात्र अपराध नहीं करेगा। क्या किसी स्कूल या यूनिवर्सिटी के बारे में गारंटी ली जा सकती है कि वहां से पढ़ा हुआ छात्र बलात्कार नहीं करेगा...प्रदूषण नहीं फैलाएगा... गंदगी नहीं फैलाएगा...झगड़ा नहीं करेगा...शोषण नहीं करेगा।
Sir
ReplyDeleteI fully agree with,and respect your views.We hope that in the days to come,you'll be setting example by your work as education minister,in particular.
But at the same time,I am looking forward to you raising such questions within the party and the government as well.
यदि इसी प्रकार की गारंटी आप अपने एम एल ए और मंत्रियों के चरित्र के विषय में भी ले पाए तो भारतीय राजनीति में वह एक स्वर्णिम दिन होगा।
सहमत
Deleteकड़वा सत्य किन्तु पूर्णतया सत्य। नैतिकता को शिक्षण संस्थानों ने पाठ्यक्रम का बोझ मान लिया है। सच्चे होने का पाठ पढ़ाना out of fashion हो गया है। झूठ का पाठ practical होने के नाम पर पढ़ाया जाता है।
ReplyDeleteबिलकुल सही
DeleteFully agree with you the great education minister of in India!! Keep doing such things we are always with you!! God bless you sir !! Political revolution has begun in India.
ReplyDeleteI think, there must be a compulsory subject which include all these issues prepared by experts and that should be taught in every class.
ReplyDeleteमनीष जी, आज तो धीरे- धीरे हमनें नैतिक शिक्षा के विषय तक को पाठ्यक्रम से हटा दिया। अगर कहीं है भी तो उनके मार्क्स नहीं जुड़ते तो खानापूर्ति हो कर रह जाती है। और जो गुणों की बात आप कर रहे है वो इसी (विषय) से संभव है। आप जरूर से सार्थक अर्थों में दिल्ली की स्कूल में फिर शुरु करने की पहल।
ReplyDeleteपर आप ऐसा सोचते भी हैं, ये भी कोई कम बात नहीं।
हमारी शिक्षा पद्धति कई शासकों के शासनकाल से होकर गुजरी है। मुगल ब्रिटिश और बची खुची पुरातन गुरूकुल व्यवस्था। सभी का मिश्रण हमारी शिक्षा में झलकता है। शिक्षा में धार्मिक खींचतान साफ तौर पर दिखाई देती है जो किसी भी देश के भविष्य को तबाही के कगार पर लाने के लिए काफी है। शिक्षा में विज्ञान, कौशल और भाषाओं के ग्यान के अलावा किसी भी धर्म की शिक्षा नहीं होनी चाहिए। एक बच्चा राष्ट्र की सम्पत्ति होना चाहिए, जिसको वयस्क होने से पहले किसी भी तरह की धार्मिक शिक्षा देना अपराध होना चाहिए।
Deleteमनीष जी आप confused आदमी है
ReplyDeleteThis is about wholistic development of a child into a responsible person. There are many people involved in this development - parents, teachers, friends, relatives, books, media. But as a politician what you can do is that create an environment of wholistic development where parents correct themselves (if wrong) just for the sake of better development. Media correct themselves by keeping in mind what kind of content is being delivered.
ReplyDeleteThe bottom line is that childer learn more from actions, so let us correct that.
Also, human by nature loves praise. We need to see what aspect of a person is being praised by people. Praising right aspects that should really matter is important and other insignificant aspects should not draw any praises.
Say for an entrepreneur, the praise should be about his vision, his endeavour in creating a successful company which is making lives easier and creating jobs and not for the wealth he was able to create for himself.
Very nice thought Sisodia ji. When angrej first visiyed India, they found everyone was well educated. They decided to ruin our education system so that they cud rule us and they ruined education since than every indian poorly educated and thinks western system is better. They achieved their goal and we lost our values.
ReplyDeleteWe need transforms in education sector and bring values back in our society. Only values can make us a good human being. Lets work together to make our society a better place to live.
बहुत बढ़िया विचार, नैतिक शिक्षा को भी व्यावसायिक शिक्षा के समान स्थान देने की ज़रूरत हैं
ReplyDeleteआज के समय में शिक्षक स्कूलों में अपनी मर्जी से बच्चो को कुछ नही करा सकते गिरमिटिया बना दिया है उन्हें प्रशाशन ने ।आप की सरकार माना कि प्रयास कर रही है शिक्षा के क्षेत्र में पर मात्र सर्कुलर देने से बदलाव नही आएगा स्कूलों में आकर देखो योजना को कैसे लागू कर रहे है प्रधानाचार्य ।
ReplyDeleteOut station tour , annual day function , local tour , eco club fund ये सब पूरी तरह से सरकार अपने हाथ में ले । प्रिंसिपल और उसके चमचे इन पैसो में कमीशन लेते है बच्चो को उनका हक नही मिल पाता । क्या ये आपको और आपके अधिकारियों को नही पता ???
ReplyDeleteOut station tour , annual day function , local tour , eco club fund ये सब पूरी तरह से सरकार अपने हाथ में ले । प्रिंसिपल और उसके चमचे इन पैसो में कमीशन लेते है बच्चो को उनका हक नही मिल पाता । क्या ये आपको और आपके अधिकारियों को नही पता ???
ReplyDeleteआज के समय में शिक्षक स्कूलों में अपनी मर्जी से बच्चो को कुछ नही करा सकते गिरमिटिया बना दिया है उन्हें प्रशाशन ने ।आप की सरकार माना कि प्रयास कर रही है शिक्षा के क्षेत्र में पर मात्र सर्कुलर देने से बदलाव नही आएगा स्कूलों में आकर देखो योजना को कैसे लागू कर रहे है प्रधानाचार्य ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteDear Sisodia, Education of course guarantee for one's betterment depending how much one can seriously put his efforts. Corruption is taught by society/government's institution and not from the colleges. Yes if you have paid a ransom as Donation to get facilitated in colleges don't expect from those students to behave as an honest citizen . When 20%-30% scored reserved students get better jobs/facilities over 80% scored genius student , don't expect morality from genius. You can not evaluate his frustration level. The system teaches us that government needs reserved and substandard quality over genius. Institutions need recommendations of some powerful leaders like you and not upon the capabilities of the applicants . Please understand the frustration of genius people ,but alas you leaders don't . I have seen the speech of Kejriwal,how he was appeasing Dalits. . Please note that I am not against Dalit, but representing the views of general candidates. Democracy has destroyed all principles, To grab the power has destroyed all the ethics of politicians. To cast vote in favour you politicians have lost nationality and started sectarian politics. You leaders (All parties) are really very sly.
ReplyDeletewhen you educate a boy,you educate an individual but when you educate a girl you educate a whole family.i request the deputy cm of delhi to frame special policies for girl child
ReplyDeletecongrats
ReplyDeleteनहीं ऐसे कोई संस्थान नहीं हैं,क्यूंकि ये विषय केवल संस्थान के दायरे से बाहर है। किसी भी बच्चे में किन मूल्यों,आदतों व् क्रियाकलापों को विकसित या पोषित किया जा रहा है।इसे उसका परिवार व् समाज प्रभावित करता है। पुराने समय में गुरुकुल होते थे ,जहाँ बच्चा 24 घंटे कुछ आयु तक रहते थे,उस व्यवस्था में गुरुकुल डंके की चोट पे अपने विद्यार्थियों की गारंटी ले सकते थे।
ReplyDeleteवर्तमान समय में भी मेरी समझ से निम्न उपाय कर सकते हैं
1)बच्चों के पाठ्यक्रम में पुस्तकों में व् 1-2 पीरियड सप्ताह में कोई काउंसलर इनसे नैतिक मूल्यों ,इनकी जीवनचर्या इत्यादि पे बात करें। ये एक सत्यापित सत्य है कि,जिन बच्चों को बचपन में सुना नहीं जाता ,उनके बाल मन को संभाला नहीं जाता,उनमें नकारात्मक सोच घर कर लेती है।
2)हमारे कुछ राज्यों जैसे केरल ,सिक्किम ने इस दिशा में बहुत सकारात्मक है। इनके उदाहरण ले सकते हैं ,समझ सकते हैं वहां क्या प्रयास किये गए हैं। विदेशों में भी कई देश ऐसे हैं जिनसे सीख सकते हैं।
3) ऐसा में आप अपना व् जो आपके सगे सम्बन्धी,मित्र जो कूड़ा नहीं फैलाते,शोषण या अन्य गलत काम नहीं करते का उदाहरण लीजिये। फिर कुछ समझ सकते हैं कि हमारी परवरिश में ऐसा क्या अलग रहा।